Landforms of Jharkhand | झारखंड की स्थलाकृतियां

झारखण्ड में स्थलाकृतियों का विकास मुख्यतः प्रवाहित जल द्वारा हुआ है। यहां पर पाए जाने वाले स्थलाकृतियों का वर्णन अग्रलिखित है:-

(1) The valleys | घाटियां

इनकी निर्माण की प्रक्रिया शूद्र सरिता के अपरदन से शुरू होती है और धीरे-धीरे अपरदन अवनालिकाएं गहरी और चौड़ी होकर घाटियों का निर्माण करती हैं। जैसे - दामोदर घाटी, सोन नदी घाटी, अजय नदी घाटी, स्वर्णरेखा नदी घाटी, इत्यादि।

(2) Potholes | जलगर्तिका

जब पहाड़ी क्षेत्रों में अपक्षयित चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े नदी के साथ बहते हुए छोटे गर्त में फंसकर वृत्ताकार घूमने लगते हैं तो इन्हीं छोटे गर्तों को जलगर्तिका कहते हैं। इनका निर्माण अक्सर वैसे स्थानों पर होता है जहां जल ऊंचाई से चट्टान पर गिरती है।

(3) Plunge pools | अवनमित कुंड

Plunge pool
जोन्हा जलप्रपात के तल पर बना अवनमित कुंड

 जलप्रपात के तल में जल के गिरने से जलगर्तिका का निर्माण होता है और धीरे-धीरे इनमें चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े के वृत्ताकार घूमने से जलगर्तिका अपरदित होकर विशाल और गहरी कुंड में बदल जाती हैं। इन्हें ही अवनमित कुंड कहा जाता है। जैसे- जोन्हा जलप्रपात के तल पर बना अवनमित कुंड, हुंडरू जलप्रपात के तल पर बना अवनमित कुंड, आदि।

(4) Waterfalls | जलप्रपात

जोन्हा जलप्रपात
Jonha Waterfall

 झारखंड पठारी क्षेत्र में आता है और यहां के नदियों के मार्ग में काफी बाधाएं आती हैं। जब कोई नदी बहते हुए किसी ऊंचाई से नीचे गिरती है तो उसे जलप्रपात कहा जाता है। (रांची पठार के किनारों पर अनेक जलप्रपात मिलते हैं जो रांची पठार की ऊंचाई से अचानक नीचे गिरने वाले नदियों द्वारा बनते हैं। इसी कारण रांची को जलप्रपात की नगरी भी कहा जाता है।) उदाहरण-हुंडरू, लोध, जोन्हा, पेरवाघाघ इत्यादि।

(5) Meanders | विसर्प

विसर्प
Meanders of Ajay River

जब नदियां मंद ढाल वाले क्षेत्र में प्रवेश करती है तो विकृत रूप से टेढ़े मेढ़े चलती हुई आगे बढ़ती और अपरदन करती है इसे ही विसर्प कहते हैं। झारखंड में राजमहल क्षेत्र में पाई जाने वाली नदियां (अजय नदी, मयूराक्षी नदी, ब्राह्मणी नदी, आदि) विसर्प का निर्माण करती है।

(6) Incised or Entrenched meanders | अधःकर्तित या गभिरीभूत विसर्प


अधःकर्तित विसर्प या गभिरीभूत विसर्प
Incised Meanders of Damodar River
जब विसर्प का निर्माण कठोर चट्टानों वाले क्षेत्र में होती है तो इन्हें अधःकर्तित या गभिरीभूत विसर्प कहते हैं। झारखंड में रांची के पठार और पाट क्षेत्र में नदियां गभिरीभूत विसर्प का निर्माण करती है। उदाहरण - दामोदर नदी द्वारा रजरप्पा क्षेत्र में निर्मित Incised Meanders, पेरवाघाघ के बाद कारो नदी द्वारा निर्मित Incised Meanders, उत्तरी कोयल नदी द्वारा पाट क्षेत्र में निर्मित Incised Meanders आदि।
Geological History of Jharkhand