झारखंड में कृषि

आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार झारखंड में प्राथमिक क्षेत्र (खनन को छोड़कर) का योगदान झारखंड के GSVA में 14.5% है। राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र 79.714 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 38 लाख हेक्टेयर (47.69% लगभग) में कृषि कार्य संभव है परंतु वर्तमान में इतने क्षेत्र में कृषि कार्य नहीं हो पाता है।
   SAMETI के अनुसार राज्य में लगभग 25 से 26 लाख हेक्टेयर (कुल भौगोलिक क्षेत्र का 32% लगभग) क्षेत्र ही शुद्ध बोए गए कृषि क्षेत्र में आता है। इस प्रकार राज्य का लगभग 14.79% क्षेत्र जिस पर खेती किया जा सकता है, परती रह जाता है। यदि इस परती भूमि का उपयोग कर लिया जाए तो राज्य में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़ सकता है परंतु निराशाजनक बात है कि अब तक ऐसा नहीं हो पाया है।
Agriculture in Jharkhand
Agriculture in Jharkhand

    राज्य का 7.12% भाग बंजर भूमि क्षेत्र में आता है। इस बंजर भूमि के अधिकतर भाग को उपयुक्त विधि द्वारा कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित किया जा सकता है परंतु इसके लिए किसानों को पर्याप्त तकनीकी जानकारी प्रदान करना होगा एवं सरकार को आर्थिक एवं तकनीकी मदद सुनिश्चित करनी होगी। राज्य के बंजर भूमि का मुख्य कारण भूमि का अधिक अम्लीय होना है।
    SBCCE 2018 के अनुसार केवल 3.007 लाख हेक्टेयर भूमि ही सिंचित क्षेत्र में आती है जो शुद्ध बोए गए क्षेत्र का केवल 12.77% है। यह इस बात की ओर हमें सोचने को मजबूर करती है कि राज्य में सिंचाई की समस्या कृषि की विकास के लिए एक बड़ी बाधा है। हालांकि राज्य में सिंचाई के लिए अनेक परियोजनाएं शुरू की गई है परंतु उनमें से अधिकतर अभी तक अपूर्ण हैं।
    JECCE 2018 के अनुसार शुद्ध बोए गए क्षेत्र का केवल 5% भाग पर ही नगदी फसल उगाया जाता है। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य में जीविकोपार्जनयोग्य कृषि की जाती है।
    राज्य में कृषि की एक समस्या यह भी है कि यहां के अधिकतर भाग में साल में केवल एक फसल ली जाती है। राज्य में लगभग 20 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल एवं लगभग 8 लाख हेक्टेयर में रबी फसल की उगाई होती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि हम एक ही भूमि पर साल में दो फसल उगा कर रबी फसल के क्षेत्र में काफी वृद्धि कर सकते हैं। राज्य में खरीफ क्षेत्र का 66% से अधिक भाग पर धान की खेती होती है।
    राज्य में अधिकतर किसानों के पास भूमि की छोटी टुकड़ी उपलब्ध है। राज्य में प्रति व्यक्ति औसत जोत क्षेत्र केवल 1.17 हेक्टेयर है और यह भूमि भी किसानों के पास छोटे-छोटे टुकड़ों में उपलब्ध होती है जिसके कारण किसान पर्याप्त तकनीक एवं आर्थिक निवेश का उपयोग नहीं कर पाते हैं। यदि किसान आपसी सहमति से एक दूसरे के छोटे-छोटे टुकड़ों में बैठी भूमि को अदल-बदल कर एक बड़ी टुकड़ी में परिवर्तित कर लें तो उपयुक्त तकनीक का प्रयोग कर कृषि आय बढ़ाया जा सकता है, परंतु इसके लिए सरकार को यह सुनिश्चित करनी होगी कि भूमि की अदला-बदली मुफ्त में हो सके।
   राज्य की लगभग 75 से 80% जनसंख्या कृषि कार्य में लगी हुई है परंतु कृषि का योगदान राज्य की जीडीपी में इसकी तुलना में काफी कम है।
     उत्पादन की दृष्टि से राज्य में फसलों का क्रम है -- धान(2991 हजार टन), मक्का(488खरीफ में+11रबी में- हजार टन), गेहूं(300 हजार टन), चना(217 हजार टन),......। वहीं बोए जाने वाले क्षेत्रफल के अनुसार फसलों का क्रम है -- धान(1338 हजार हेक्टेयर), मक्का(248+6 हजार हेक्टेयर), चना(190 हजार हेक्टेयर), गेहूं(164 हजार हेक्टेयर), .....। {Source -- JHARKHAND ECONOMIC SURVEY 2019-2020}
  विभिन्न फसलों के उत्पादन में राज्य के प्रथम रैंक वाले जिले :-----
   धान -------------- पश्चिमी सिंहभूम
    गेहूं -------------- पलामू
   मक्का ------------- पलामू
   चना -------------- पलामू
   तिलहन ------------- पलामू
   दलहन -------------- पलामू
    अरहर --------------- पलामू
     जौ ---------------- पलामू (2nd साहिबगंज)
     गन्ना ---------------- हजारीबाग
     आलू ---------------- हजारीबाग
       ज्वार-बाजरा -------------- हजारीबाग
      मड़ुआ ---------------- रांची
      फूल ---------------- रांची (2nd हजारीबाग)

♣ झारखंड में सिंचाई के साधन के रूप में कुआं(29.5%), तालाब(18.8%), नहर(17.13%), नलकूप(8.4%) आदि का उपयोग किया जाता है। सर्वाधिक सिंचाई पलामू में की जाती है जबकि सिंचाई के साधन के अनुसार सर्वाधिक सिंचाई करने वाले जिले निम्नलिखित हैं:--
  कुआं ----------- गुमला
  तालाब ------------ देवघर
  नहर --------------- सिंहभूम
  नलकूप ------------- लोहरदगा
♠ झारखंड में 20 से भी अधिक सिंचाई परियोजनाएं हैं जिसमें से कुछ प्रमुख परियोजनाओं का वर्णन निम्नलिखित है :-
Tenughat Dam
तेनुघाट बांध

स्वर्णरेखा परियोजना -- स्वर्णरेखा एवं खरकई नदी 
दामोदर नदी परियोजना ---दामोदर एवं उसकी सहायक नदी
कोनार सिंचाई परियोजना -- कोनार नदी(हजारीबाग)
अजय बराज परियोजना -- अजय नदी(देवघर)
उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना -- उत्तरी कोयल नदी(पलामू प्रमंडल)
अपर शंख जलाशय परियोजना -- शंख नदी(गुमला)
गुमानी बराज परियोजना -- गुमानी नदी(साहिबगंज)
बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना -- गंगा नदी (गोड्डा)

♦ झारखंड कृषि से संबंधित कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:--
∆ राज्य में स्थानीय कृषि का नाम 'खल्लू कृषि' है।
∆ झारखंड में स्थानांतरित कृषि को 'कुरुवा' कहते हैं।
∆राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत राज्य के 17 जिले जुड़े हुए हैं।
∆ Indian Institute of Agriculture Research हजारीबाग में स्थित है।
∆ झारखंड में जूट जैसे रेशे को 'मेष्ठा' कहा जाता है।
∆ चावल की उत्पादकता में वृद्धि के लिए झारखंड को 2019 का कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है।
∆ Soil Conservation and Research Centre हजारीबाग में स्थित है।